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यहा यह ध्यान देने योग्य बात है कि ब्राह्मणेतर और अछूतों में या बहिष्कृत समाज के लोगो के बीच मे सामाजिक समानता नही है। शुद्र, पिछड़े या ओबीसी वर्ग वैसे तो वर्णाश्रम यानी हिंदूधर्म का हिस्सा है । यह समाज कभी दरिद्र नही रहा है । व्यापार ,खेती इत्यादि , उधोग वे कहते रहे है । लेकिन बहिष्कृत समाज के संबंध में वर्तमान में भी वैसे नही है । अछूत समाज का करीब 80 से 90% समूह मूलभूत सुविधाओं से भी बहुत दूर है👇
वर्तमान में भारत के देहातो में यही श्थिति देखी जा सकती है। पिछले चार सालों में हिंदुत्व का रंग अस्पृश्य समाज के लोगो पर अत्याचार और अमानवीय यातनाओ के रंग के रूप में देखा जा सकता है । अछूत समाज मे जो समस्याए 100 साल पहले थी उन्ही समस्याओ से समाज आज भी जूझ रहा है । 👇
मूकनायक के दिनांक 14 फरवरी ,1920 के दूसरे अंक में राजनीति और सामाजिक जीवन के बारे में बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर लिखते है, 👇
આગળ ની જાણકારી પુસ્તકમા વાંચવા મળશે 👇
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