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वेन और ब्राह्मणों के बीच मुदा यह था कि
क्या राजा का प्रभुत्व रहेगा अथवा ब्राह्मण का ब्राह्मण राज की पूजा करेगा और भगवान के सम्मुख बलि चढ़ाने के बजाय वह राजा को बलि अर्पित करेगा ।
पुरुरवा और ब्राह्मणों के बीच का मुद्दा दूसरे किस्म का था : क्या राजा ब्राह्मणों की संपत्ति जब्त कर सकता है या नही ?
नहुष और ब्राह्मणों के बीच का मुद्दा क्षत्रिय राजा द्वरा ब्राह्मण से गुलामो जैसा काम करवाने पर केन्द्रीत था ।
इस आधार पर इन दोनों वर्गो के बीच संघर्ष के बड़े मुदो का पता चल जाता है । इसमें कोई आश्चर्य नही कि इनके बीच संघर्ष सबसे अधिक कटु था । ये कभी -कभार होने वाले दंगे नही थे । यह संघर्ष एक -दूसरे को मिटा देने का संघर्ष था। ब्राह्मण परशुराम क्षत्रियो से इक्कीस बार लड़े ओर उन्होंने एक-एक क्षत्रिय को मार डाला ।
इन दोनों वर्गो से नीचे भी अन्य लोग थे । ये लोग चांडाल और श्वपाक थे । ये लोग मात्र अछूत ही नही , नीच भी माने जाते थे । ये समाज और कानून के दायरे के बाहर थे । इनके कोई अधिकार या कोई अवसर नही होते थे । ये आर्यो के समाज से बहिष्कृत थे ।
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