हिन्दू धर्म की रिडल

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बाबासाहेब डॉ .आंबेडकर की बहादुर जनता ने प्रतिक्रियावादी ताकतों के इस तमाशे को बाबासाहेब का अपमान समझा, इसलिए उससे बबसाहेब की शान के खिलाफ यह षडयंत्र देखा न गया । अंत:उसने भी लामबंद होकर पुस्तक के समर्थन में, करीब 50 हजार लोगों ने मुंबई विधानसभा के सामने प्रबल प्रदर्शन किया। आंबेडकरी जनता के प्रदर्शन के जवाब में हिंदुओं की ओर से इससे भी जबरदस्त प्रदर्शन हुआ, करीब एक लाख लोगों का। हिन्दुओ के इस प्रदर्शन के विरोध में और बाबासाहेब की पुस्तक के समर्थन में हमारे लोगो की ओर से लगभग डेढ़ लाख लोगों ने प्रदर्शन किया। आंबेडकरी जनता के जवाब में शिवसेना की ओर से जब दो लाख आदमियो ने पुस्तक आंदोलन में जान पड़ गई । आर. पी. आई . के सभी गुट, समता सैनिक दल ,भारतीय बौद्ध महासभा तथा सभी भिक्खुसंघ ,माई साहेब सविता आंबेडकर सहित सब के सब ने संगठित होकर पाँच लाख की भारी संख्या के साथ संयुक्त रूप में प्रदर्शन कर एक अनूठा इतिहास रच डाला । पुस्तक के समर्थन में यह प्रदर्शन इतना प्रचण्ड था कि इसके कारण सारि मुम्बई नगरी ठहर-सी गई। जिधर देखों उधर भीम-सैनिक ही दिखाई पड़ते थे। सबने एक स्वर में सरकार को चेतावनी दी कि इस पुस्तक के प्रकाशन पर प्रतिबंध तो क्या हमें इसमें से एक कॉम तक हटाना स्वीकार नही है। क्योंकि अब यह हमारे जीवन और मरण का प्रश्न बन चुका है। इस आंदोलन ने जहा-तक हिंसक रूप भी धारण कर लिया । जिसमे कई भीम सैनिक जख्मी हुए। सुधाकर चिबड़े नामक व्यक्ति की मृत्यु हो गई वास्तव में वह बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर की आन-बान-शान की रक्षा करते -करते शाहिद हुआ । आज वह व्यक्ति आंबेडकरी आंदोलन में मरकर भी अमर है। 👇

‘रिडल्स इन हिन्दुज्म ‘ को भी इस श्रुखला के 7वे खण्ड के रूप में छपने की कृपा की गई । 👇

कहने को तो यह ग्रंथ पुस्तक के मुकम्मल पाठ का मुकम्मल हिंदी अनुवाद है, किन्तु इस ग्रंथ में गलतियों की इतनी अधिक भरमार है कि उन्हें देखकर कभी-कभी सरकार की नीयत पर ही शंका होने लगती है । 👇

इसीलिए उसने सोचा कि क्यो न हिंदी भाषा मे अनुवाद करने के बहाने बाबासाहेब की धारदार विचारधारा को ही खोटा करने का काम कर लिया जाय 👇

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